🔱 शिव गीत 🔱


हस के उठे बम-बम भोले,

जा कैलाश बसे शिवशंकर।

नील जटा, जटा पर गंगा,

गंगा लहराए शिव के अंगा।

नंदी बैल करे शिव की सेवा,

डमरू बाजे, त्रिशूल सजेवा।


भस्म रमाये अंग अनोखा,

नेत्र तीन, नयन में शोभा।

कंठ में नाग, कंठ है नीला,

हलाहल पी गए बनकर लीला।

शिव म दाई के साजे,

बैठे ध्यान मगन अभिराजे।


पार्वती संग बैठ सभा में,

ऋषि-मुनि झुके चरण रमा में।

दाई के संग म भूत विराजे,

गण भी संग गगन म साजे।

सत्य की वाणी, मृदु मुस्काना,

शिव का ध्यान करे हर प्राणा।


अनहद नाद गूंजे शिव धाम,

धर्म ध्वजा लहराए ओ श्याम।

शिवरात्रि के दिन जब जागे,

भक्तजन दीप जलाके भागे।

गंगाजल, बेल पत्र चढ़ाए,

भोले के नाम सब मिल गाए।


भक्त करें तांडव मन माही,

हर कण में शिव बसी सच्चाई।

दारुण दुख में नाम उबारे,

शिव-स्मरण से भूत तिहारे।

दुख-दरिद्र हरे शिव प्यारा,

संसार से न्यारा औ' न्यारा।


जटा में गंगा, माथे चंदा,

शिव बिना न सजे ब्रह्मांड।

भक्ति म बाग लगाइ भोला,

प्रेम से जो पुकारे ओ भोला।

शिव शिव कहते मन हरषाए,

जन्म-जन्म का भार मिटाए।


लहराए धर्म ध्वजा निरंतर,

हर घर शिव हो सत्यम शिवं सुंदर।

लहराए ओ भोलेनाथ,

सुर-नर करें तुम्हारी बात।

सेवा में बाग लगाइ हो शंभो,

मन में बसाइ हो शंभो...


Not:- bhajan me Koi truti ho to chhama karen